कम्प्यूटर का इतिहास और विकास (History and evolution of Computer)


आज हम "कंप्यूटर का इतिहास और विकास" के बारे में बात कर रहे हैंक्योंकि यह तकनीक हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है। हजारों साल पहले गणनात्मक उपकरणों से शुरू होकरकंप्यूटर आज कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सुपर कंप्यूटर तक पहुँच गया है। इस विकास ने कंप्यूटर को तेजशक्तिशाली और बहुउद्देश्यीय बना दिया है। JMA Education के इस लेख मेंहम समझेंगे कि कैसे कंप्यूटर का सफर अबैकस से शुरू होकर आधुनिक डिजिटल दुनिया तक पहुँचा। आज के डिजिटल युग में कंप्यूटर का उपयोग शिक्षाचिकित्साव्यापार और मनोरंजन सहित हर क्षेत्र में किया जाता है। जैसे-जैसे कंप्यूटर विकसित हो रहा हैवैसे-वैसे यह हमारे जीवन को और अधिक सरल और स्मार्ट बना रहा है। आइएइस रोमांचक यात्रा को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि कंप्यूटर का भविष्य हमें किन नई संभावनाओं से जोड़ने वाला है!

कम्प्यूटर का इतिहास और विकास (History and evolution of Computer)

कंप्यूटर के विकास का इतिहास कई चरणों में विभाजित किया गया है:

अबैकस (Abacus) 

सबसे पहले "अबैकस" नामक एक यंत्र आया थाजिसे चीन के "ली काई चेन" द्वारा 16वीं शताब्दी में बनाया गया था। इसका काम सिर्फ जोड़नाघटाना और वर्गमूल निकालना था। यह एक लकड़ी के ढाँचे से तैयार किया गया यंत्र थाजो कि क्षैतिज तारों में गोलाकार मोतियों के द्वारा गणना करता था।

अबैकस का उपयोग गणितीय गणनाओं के लिए किया जाता था और यह आज भी कई स्थानों पर शिक्षा और गणना के प्रारंभिक उपकरण के रूप में उपयोग में आता है। यह सरल लेकिन प्रभावी यंत्र गणना की प्रक्रिया को आसान और त्वरित (Quickबनाता था।

नैपियर बोन्स (Napier Bones)

सन 1617 में स्कॉटलैंड के वैज्ञानिक जॉन नैपियर (John Napier) ने नैपियर बोन्स (Napier Bones) नामक एक गणना करने वाली मशीन का निर्माण किया। इस मशीन में 0 से 9 तक के पहाड़े लिखे हुए रहते थेजिसके ज़रिये गुणा करने का काम किया जाता था।

नैपियर बोन्स हड्डी के टुकड़ों से बनाए जाते थे और इनमें अंक लिखे होते थे। इन्हें एक विशेष तरीके से व्यवस्थित करके गणना की जाती थीजिससे जटिल गणनाएँ भी सरलता से की जा सकती थीं। यह यंत्र विशेष रूप से गुणाभागजोड़ और घटाने के लिए उपयोगी था।

नैपियर बोन्स गणना के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आविष्कार थाजिसने गणितीय गणनाओं को अधिक सुविधाजनक और सटीक बना दिया।

पास्कल लाइन (Pascal Line)

वास्तव में यह भी एक कैलकुलेटर ही थाजिसके जरिए सभी संख्याओं को जोड़ने और घटाने का कार्य किया जाता था। फ्रांस के वैज्ञानिक ब्लेज़ पास्कल (Blaise Pascal) ने 1642 में पास्कल लाइन (Pascal Line) कैलकुलेटर का निर्माण किया। इसे प्रथम मैकेनिकल मशीन भी कहा जाता है।

इस मशीन में कई सारे चक्र होते थे जिनपर 0 से 9 तक की संख्याएँ अंकित होती थीं। इन चक्रों को घुमाकर जोड़ने और घटाने का कार्य किया जाता था। यह मशीन गणना के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण आविष्कार थी और इसने भविष्य के गणना उपकरणों के विकास की नींव रखी।

पास्कल लाइन ने गणना की प्रक्रिया को सरल और अधिक सटीक बना दियाजिससे गणितीय कार्यों में सुधार हुआ।

लैबनिट्ज़ कैलकुलेटर (Leibnitz Calculator)

सन 1671 में जर्मनी के वैज्ञानिक गॉटफ्रिड विल्हेम लैबनिट्ज़ (Gottfried Leibnitz) ने लैबनिट्ज़ कैलकुलेटर का निर्माण किया। इस कैलकुलेटर का उपयोग जोड़ने और घटाने के साथ-साथ गुणा और भाग करने के लिए भी किया जाता था।

लैबनिट्ज़ कैलकुलेटर एक महत्वपूर्ण यांत्रिक गणना उपकरण थाजिसने गणना की प्रक्रिया को और भी विस्तृत और प्रभावी बना दिया। यह यंत्र गणना की सटीकता और विश्वसनीयता को बढ़ाने में मददगार था।

डिफरेंस इंजन (Difference Engine)

1822 में इंग्लैंड के चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) द्वारा "डिफरेंस इंजन" (Difference Engine) नामक एक इंजन का आविष्कार किया गयाजो भाप से चलती थी। इसका काम जोड़नाघटानागुणा और भाग करना थासाथ ही इसका प्रयोग बीजगणितीय फलनों (algebraic functions) में भी किया जाता था।

डिफरेंस इंजन एक यांत्रिक कंप्यूटर था जो गणना कार्यों को स्वचालित और सटीक रूप से करने में सक्षम था। यह यंत्र गणितीय तालिकाओं को उत्पन्न करने के लिए विशेष रूप से उपयोगी था और इसके आविष्कार ने गणना की प्रक्रिया को बहुत अधिक सुगम और विश्वसनीय बना दिया।

एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine)

1833 में चार्ल्स बैबेज ने एक अन्य मशीन का आविष्कार किया जिसे एनालिटिकल इंजन (Analytical Engine) कहा गया। यह मशीन दशमलव के 50 वें स्थान तक काम कर सकती थी तथा इस प्रकार की 1000 तक संख्याएँ इसमें संग्रहित की जा सकती थीं। इसमें इनपुट उपकरण होते थेजिनकी सहायता से निर्देश और डेटा को पढ़ा जा सकता था।

एनालिटिकल इंजन को आधुनिक कंप्यूटरों का पूर्वज माना जाता हैक्योंकि इसमें कई महत्वपूर्ण घटक शामिल थे जो आज के कंप्यूटरों में पाए जाते हैंजैसे कि:

संख्या संग्रहण (Storage) बड़ी मात्रा में डेटा संग्रहित करने की क्षमता।

संकेतक (Indicators) दशमलव के 50 वें स्थान तक गणना करने की क्षमता।

इनपुट और आउटपुट उपकरण (Input and Output Devices) निर्देश और डेटा पढ़ने और निकालने की क्षमता।

Mark-1

Mark-1 या Harvard Mark I  का आविष्कार 1937 में हावार्ड यूनिवर्सिटी के छात्र हॉवार्ड एआइकन (Howard Aiken) द्वारा किया गया थाऔर यह 1944 में पूरा हुआ। यह एक विश्वसनीय इलेक्ट्रोमैकेनिकल कैलकुलेटर थाजिसे अक्सर IBM Automatic Sequence Controlled Calculator (ASCC) के नाम से भी जाना जाता है।

यह यंत्र विश्वासयोग्य रूप से जोड़नेघटानेगुणा और भाग करने के साथ-साथ बीजगणितीय फलनों का भी उपयोग कर सकता था। यह एक महत्वपूर्ण कदम था गणना के क्षेत्र मेंऔर इसने आधुनिक कंप्यूटिंग के विकास की नींव रखी।

ENIAC (Electronic Numerical Integrator & Computer)

सन 1946 में, ENIAC (Electronic Numerical Integrator & Computer) नामक प्रथम पूर्णतः इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर का आविष्कार किया गयाजिसका आविष्कार जे० पी० एकर्ट (J.P Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) के सहयोग से किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य अमेरिकी सेना के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मदद करना थाजिसमें यह कम्प्यूटर सभी सैनिकों को काफी मदद भी किया।

ENIAC एक प्रथम प्रोसेसिंग और जनरल प्रयोग के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कम्प्यूटर थाजो गणना की सभी प्रकार की समस्याओं को हल करने में सक्षम था। यह यंत्र विश्वसनीय रूप से जोड़नेघटानेगुणा और भाग करने के कार्यों में सफल रहा और इसका प्रयोग बीजगणितीय फलनों की गणना में भी किया गया।

यह आविष्कार आधुनिक कंप्यूटिंग के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।

EDSAC (Electronic Delay Storage Automatic Calculator)

सन 1949 में, "EDSAC" (Electronic Delay Storage Automatic Calculator) नामक पहला प्रोग्राम संगृहीत डिजिटल कंप्यूटर का आविष्कार "मौरिस विल्केस (Maurice Wilkes)" के द्वारा किया गया। यह दूसरा इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर थाजिसका प्रयोग वर्गों के पहाड़े और अभाज्य संख्या जैसी गणनाओं को हल करने के लिए किया जाता था।

EDSAC ने कंप्यूटिंग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और इसने प्रोग्राम संगृहीत करने की क्षमता को प्रस्तुत कियाजिससे भविष्य के कंप्यूटरों के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।

EDVAC (Electronic Discrete Variable Automatic Calculator)

सन 1950 में, "EDVAC" (Electronic Discrete Variable Automatic Calculator) नामक कंप्यूटर का आविष्कार जॉन वॉन न्यूमैन (John von Neumann) के द्वारा किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य गणनाएँ करना था।

“EDVAC” ने कंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाईक्योंकि यह पहले कंप्यूटरों में से एक था जिसमें बाइनरी (Binary) अंकगणना और प्रोग्राम संगृहीत करने की क्षमता थी। इसने कंप्यूटर आर्किटेक्चर के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया और इसे आधुनिक कंप्यूटरों की नींव माना जा सकता है।

UNIVAC (Universal Automatic Computer)

सन 1951 में, "UNIVAC" (Universal Automatic Computer) नामक सामान्य उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जाने वाला प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर "जे. प्रेस्पर एकर्ट (Presper Eckert)" और "जॉन मौचली (John Mauchly)" के द्वारा निर्माण किया गया। यह कंप्यूटर सांख्यिकी और शाब्दिक दोनों प्रकार के डेटा को संसाधित करता था।

UNIVAC ने व्यापार और सरकारी कार्यों में क्रांति ला दीक्योंकि यह उच्च मात्रा में डेटा को कुशलतापूर्वक प्रोसेस कर सकता था। यह कंप्यूटर न्यूज़ मीडिया द्वारा उपयोग में लाए गए पहले कंप्यूटरों में से एक था और इसने 1952 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों की भविष्यवाणी भी की थीजिससे इसकी लोकप्रियता और विश्वसनीयता बढ़ी।


निष्कर्ष (Conclusion)

कंप्यूटर का इतिहास और विकास मानव की वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। अबैकस से लेकर आधुनिक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और सुपर कंप्यूटर तकयह सफर निरंतर नवाचार और खोज से भरा हुआ रहा है। प्रारंभिक यांत्रिक गणना उपकरणों से लेकर आज के स्वचालित और उच्च-गति वाले डिजिटल कंप्यूटरों तककंप्यूटर ने दुनिया को पूरी तरह से बदल दिया है।

JMA Education के इस लेख में हमने जाना कि कैसे चार्ल्स बैबेज के डिफरेंस इंजन से लेकर ENIAC, UNIVAC, और आधुनिक क्वांटम कंप्यूटिंग तक कंप्यूटर का विकास हुआ। हर नई पीढ़ी में कंप्यूटर अधिक शक्तिशालीतेज़ और बहुउद्देश्यीय बनते गएजिससे शिक्षाचिकित्साव्यापारअनुसंधान और संचार के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आए।

भविष्य मेंकंप्यूटर और अधिक बुद्धिमानकुशल और उन्नत होंगेजिससे हमारा जीवन और भी आसान और उत्पादक बन सकेगा। यह कहना गलत नहीं होगा कि कंप्यूटर का विकास अभी भी जारी हैऔर आने वाले वर्षों में यह और भी रोमांचक तकनीकी बदलाव लेकर आएगा।


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