आज के आधुनिक कंप्यूटर जिनका हम उपयोग कर रहे हैं, वे कई वर्षों के तकनीकी विकास का परिणाम हैं। कंप्यूटर का विकास पाँच पीढ़ियों (Generations of Computers) में विभाजित किया गया है, जिनमें हर पीढ़ी ने तकनीक में नए आयाम जोड़े हैं।
इस लेख में, JMA Education आपको कंप्यूटर की सभी पाँच पीढ़ियों और उनके विकास के बारे में विस्तार से जानकारी देगा। आइए जानते हैं कि कैसे कंप्यूटर ने समय के साथ बदलाव किए और आज की अत्याधुनिक मशीनों में तब्दील हो गया।
कम्प्यूटर की पीढ़ीया (Generations of Computer)
कंप्यूटर का विकास पाँच पीढ़ियों (Generations of Computers) में विभाजित किया गया है, जिनमें हर पीढ़ी के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे, जिसमे तकनीक में नए आयाम जोड़े हैं।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर (1946 - 1956)
कंप्यूटर विकास के इतिहास में सबसे पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर (Electronic Digital Computer) "ENIAC" था, जो जे. पी. एकर्ट (J. Presper Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) द्वारा 1946 में तैयार किया गया था। इसके अलावा, UNIVAC, EDVAC और EDSAC कंप्यूटर भी इसी पीढ़ी के अंतर्गत आते हैं। इस पीढ़ी की अवधि 1946 से 1956 तक थी, जिसे प्रथम पीढ़ी (First Generation) कहा जाता है।
विशेषताएँ
1. स्विचिंग उपकरण में वैक्यूम ट्यूब (Vacuum Tube) का प्रयोग किया गया।2. ये बहुत ही नाजुक, कम विश्वसनीय और आकार में बड़ी होती थीं।
3. अधिक मात्रा में एयर-कंडक्टर (Air Conductor) का प्रयोग किया जाता था।
4. संग्रहण के लिए मैग्नेटिक ड्रम मेमोरी (Magnetic Drum Memory) का प्रयोग किया जाता था।
5. इसकी गति बहुत मंद (Slow) थी।
6. मशीनी भाषाओं में प्रोग्रामिंग का उपयोग किया जाता था।
7. ये बहुत महंगे होते थे।
द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटर (1956 - 1964)
1956 से द्वितीय पीढ़ी की शुरुआत हुई थी। इन सभी कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर (Transistor) का उपयोग किया गया, जिससे कंप्यूटरों में काफी बदलाव आए जैसे आकार छोटा होना, गति में वृद्धि होना, और अधिक विश्वसनीय होना। यह प्रक्रिया 1956 से 1964 तक चली, जिसे द्वितीय पीढ़ी (Second Generation) कहा जाता है।
विशेषताएँ
1. प्रथम पीढ़ी की तुलना में ये कंप्यूटर कम खर्चीले थे।2. प्रथम पीढ़ी की तुलना में ये छोटे और रख-रखाव में आसान थे।
3. वैक्यूम ट्यूब के बदले ट्रांजिस्टर का उपयोग किया गया।
4. प्रथम पीढ़ी से अधिक मजबूत और टिकाऊ थे।
5. इनकी गति में काफी सुधार हुआ।
6. इनकी ऊर्जा खपत कम थी।
7. मैग्नेटिक कोर मेमोरी (Magnetic Core Memory) का प्रयोग किया गया।
तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर (1964-1973)
इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में कई महत्वपूर्ण सुधार और परिवर्तन शामिल थे, जिनमें मुख्य रूप से इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का प्रयोग किया गया था। इन कंप्यूटरों का वजन कम था और इनका प्रदर्शन अधिक तेज और कुशल था।
विशेषताएँ
1. तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर प्रथम और द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में बहुत छोटे आकार के थे।2. इन कंप्यूटरों को कम खर्च में तैयार किया जा सकता था, जिससे इनका उपयोग अधिक सामान्य हुआ।
3. तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटरों ने बहुत कम बिजली की खपत की, जिससे वे ऊर्जा-संवेदनशील थे।
4. इनके रखरखाव और मरम्मत करना आसान था, जिससे उनकी जीवनकाल लंबी हो गई।
5. इनकी स्पीड, प्रथम और द्वितीय पीढ़ी के कंप्यूटरों की तुलना में काफी तेज थी।
6. तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर पहले की सभी पीढ़ियों की तुलना में अधिक मजबूत और तीव्र गति से काम करने वाले थे।
7. आईसी का उपयोग इन कंप्यूटरों में प्रमुख तकनीकी सुधार था, जिसने उनकी दक्षता और कार्यक्षमता को बढ़ाया।
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर (1973-1982)
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटरों ने कंप्यूटर तकनीक में एक महत्वपूर्ण प्रगति की। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों ने माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया, जो एकल चिप पर सैकड़ों और हजारों इंटीग्रेटेड सर्किट्स को शामिल करता था।
विशेषताएँ:
1. चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत छोटे आकार के थे, जिससे उन्हें आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता था।2. इन कंप्यूटरों की स्पीड बहुत अधिक थी, जिससे डेटा प्रोसेसिंग और कंप्यूटिंग कार्य तेजी से हो सके।
3. चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटरों का रखरखाव बहुत आसान था, जिससे उनके संचालन की लागत कम हो गई।
4. इन कंप्यूटरों को कम खर्च में तैयार किया जा सकता था, जिससे उनकी पहुंच सामान्य उपयोगकर्ताओं तक हो गई।
5. चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर बहुत विश्वसनीय और टिकाऊ थे, जिससे उनकी कार्यक्षमता और जीवनकाल बढ़ गई।
6. इन कंप्यूटरों में अधिक स्टोरेज क्षमता थी, जिससे बड़े डेटा सेट्स को संग्रहीत करना संभव हो गया।
7. इन कंप्यूटरों ने बहुत कम बिजली की खपत की, जिससे वे ऊर्जा-संवेदनशील थे।
8. चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का उपयोग किया गया, जिसने उनकी दक्षता और कार्यक्षमता को बढ़ाया।
पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर (1982-वर्तमान)
पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों ने प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर विज्ञान में एक नए युग की शुरुआत की। इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में उन्नत तकनीकें और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का समावेश हुआ है।
विशेषताएँ:
1. कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों में एआई का व्यापक उपयोग होता है, जिससे वे स्वायत्त और बुद्धिमान हो सकते हैं।2. प्राकृतिक भाषा पहचान: ये कंप्यूटर मानव भाषा को समझने और प्रोसेस करने में सक्षम हैं।
3. अत्यधिक तेज प्रोसेसिंग: पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग स्पीड पहले की सभी पीढ़ियों की तुलना में बहुत अधिक है।
4. पैरेलल प्रोसेसिंग: इन कंप्यूटरों में पैरेलल प्रोसेसिंग की क्षमता है, जिससे वे बड़े और जटिल कार्यों को तेजी से प्रोसेस कर सकते हैं।
5. क्वांटम कंप्यूटिंग: पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों में क्वांटम कंप्यूटिंग की संभावनाओं पर भी काम किया जा रहा है, जो कंप्यूटर प्रोसेसिंग की दुनिया को पूरी तरह बदल सकता है।
6. विस्तारित स्टोरेज क्षमता: इन कंप्यूटरों में स्टोरेज क्षमता बहुत अधिक होती है, जिससे बड़े डेटा सेट्स को संग्रहीत करना और प्रोसेस करना संभव हो गया है।
7. उन्नत सुरक्षा सुविधाएँ: पाँचवीं पीढ़ी के कंप्यूटरों में उन्नत सुरक्षा सुविधाएँ होती हैं, जो डेटा की सुरक्षा को सुनिश्चित करती हैं।
निष्कर्ष:
कंप्यूटर की प्रत्येक पीढ़ी ने तकनीकी क्षेत्र में नई क्रांति लाई है। पहली पीढ़ी के बड़े और धीमे कंप्यूटरों से लेकर पाँचवीं पीढ़ी के AI-पावर्ड सुपर कंप्यूटरों तक, यह यात्रा अद्भुत रही है।JMA Education के इस लेख में हमने जाना कि कैसे वैक्यूम ट्यूब से माइक्रोप्रोसेसर और अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तक कंप्यूटर का विकास हुआ। भविष्य में, कंप्यूटर और भी बुद्धिमान, तेज और स्वचालित होंगे, जिससे मानव जीवन में और भी नई संभावनाएँ खुलेंगी।
आपके विचार क्या हैं? क्या आपको लगता है कि भविष्य में कंप्यूटर हमारी जिंदगी को पूरी तरह बदल देंगे? कमेंट में अपनी राय दें!
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